रायपुर। केरल हाइकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी यूजीसी की नेट जून 2012 के मिनिमम एग्रीगेट परसेंटेज नियम को गलत ठहराया है और यूजीसी को फिर से नतीजे जारी करने को कहा है।
कोर्ट के इस फैसले से जहां देश के लाखों उम्मीदवारों को फायदा होगा। वहीं छत्तीसगढ़ के करीब साढ़े चार हजार उम्मीदवारों को इसका लाभ मिलने की संभावना है। क्वालिफाई करने वालों की संख्या बढ़ सकती है।
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) के नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट)- जून 2012 में क्वालिफाई न कर पाने वाले परीक्षार्थियों में एक बार फिर उम्मीद जागी है। सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा परिणाम जारी करने के ठीक पहले यूजीसी उस नियम को खारिज कर दिया है।
17 दिसंबर को दिए गए फैसले में केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि परीक्षा के तुरंत पहले ऐसा नियम लागू करना उचित नहीं है। इससे सिर्फ याचिकाकर्ताओं को ही लाभ मिला था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जून में हुई परीक्षा में शामिल सभी उम्मीदवारों को लाभ मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 21 दिसंबर 2012 को आ गया था, मामला वैकेशनल कोर्ट में होने की वजह से इसकी प्रति वेबसइट पर जारी नहीं की जाती। इसी वजह से फैसला सार्वजनिक नहीं हो पाया है।
नए नियम के खिलाफ भी जाएंगे कोर्ट
केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि नेट एक एलिजिबिलिटी टेस्ट है, न कि कोई कॉम्पीटिटिव एक्जाम। इस कारण इसमें कोई भी ऐसा नियम लागू नहीं किया जा सकता, जिससे मिनिमम पासिंग मार्क्स के अलावा कोई मेरिट लिस्ट बनाई जाए।
इसी को आधार बनाते हुए यूजीसी के दूसरे नए नियम के खिलाफ भी परीक्षार्थी कोर्ट जाएंगे। 15 प्रतिशत की मेरिट का यह नियम 30 दिसंबर 2012 की परीक्षा से सिर्फ चार दिन पहले लागू हुआ था। इस पर याचिका लगाने की तैयारी हो रही है।
छत्तीसगढ़ में नेट के संयोजक डॉ. वंशगोपाल सिंह ने कहा कि कोर्ट के इस फैसले से छात्रों को लाभ होगा। जून में हुई परीक्षा के लिए 5759 लोगों ने पंजीयन कराया था। इनमें से करीब साढ़े चार हजार लोग परीक्षा में शामिल हुए थे। इनमें से जो भी उम्मीदवार पुराने नियम के दायरे में आ रहे हैं उन्हें लाभ होगा।
रिजल्ट के पहले बदल दिया था क्राइटेरिया
24 जून को हुई परीक्षा के परिणाम के पहले सितंबर 2012 में यूजीसी ने नेट क्वालिफाइड होने के अपने तय मानक प्रतिशत में एग्रीगेट परसेंटेज की एक नई शर्त जोड़ दी थी। इससे पासिंग मार्क्स लाने के बावजूद एग्रीगेट परसेंटेज की अर्हता नहीं पूरी करने वाले हजारों परीक्षार्थी फेल हो गए।
इससे पहले जनरल कैटेगरी के परीक्षार्थियों को पास होने के लिए पहले और दूसरे प्रश्नपत्र में 40-40 प्रतिशत, जबकि तीसरे प्रश्नपत्र में 50 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य होता है।
ओबीसी और एससी, एसटी, फिजिकल हैंडिकेप्ट के लिए इसमें 5 से 10 प्रतिशत तक की छूट दी जाती है। नए नियम साथ ये मार्क्स लाने के साथ एग्रीगेट 65 परसेंट अंक लाना अनिवार्य है। ओबीसी के लिए यह 60 और एससी, एसटी के लिए 55 परसेंट है।