First and Largest Academic Social Network of LIS Professionals in India
सुख - दुःख में साथ,
निभाती रही किताब
बुझे मन की बाती,
जलाती रही किताब
जब कभी लगी प्यास,
बुझाती रही किताब
मन जब हुआ उदास,
हँसाती रही किताब
अँधेरे में भी राह,
दिखाती रही किताब
अनगिनत खुशियाँ,
लुटाती रही किताब..
- दीनदयाल शर्मा
Tags:
Nice poem.........
very nice poem
Thanks to all who replied / respond to "किताबों की कविता"
Sanjay Singh BHU
© 2024 Created by Dr. Badan Barman. Powered by