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दिपावली
दोस्तो दिपावली का महान पर्व फिर करीब है। आओ सभी मिल कर इसे धुमधाम से मनाने की तयारिया करें। दोस्तो इस दिन भगवान राम वनबास काट कर आयोध्या वापिस आये थे।आयोध्या निवासियों ने घी के दीपक जला कर उनका स्वागत किया था। तब समाज ने जाना कि धी की सुधंग वातावरण में फैले हानिकारक तत्वो को समाप्त करती है। वातावरण को स्वच्छ व निर्मल बनाती है।
हमारे भारत ने इस संसार को बहुत कुछ दिया है। जैसे ० जिसने गणना के संसार को नये सिरे से परिभाशित किया।
योग जिसने दुनिया भर में जीवन के प्रति लोगों के नजरिये में परिवर्तन किया।
आज समाज को फिर से एक नई दिशा देने की अवच्च्यकता है। हमारे वातावरण पर प्रदुद्गाण का गहरा अंधकार छा रहा है। धुंए की चादर व प्रदुद्गाण प्राकृति के समान्य नियमो पर भी भारी पड रहे है। असमान्य प्राकृतिक व्यवहार समान्य जीवन व विकास को प्रभावित कर रहे है।
आओ मिल कर संकल्प करें कि हम सब अपने - अपने घरो में पटाखे नहीं चलायेगें।
आओ सभी मिल कर संकल्प करें कि हम भी उसी प्रकार दिपावली मनायेगें जैसे आयोध्या निवासियों ने मनाई थी।
आओ सभी मिल कर संकल्प करें कि हम उसी प्रकार घी के दीप जला कर दिपावली का स्वागत करेगें जैसे आयोध्या वासियों ने किया था।
आओ हम सब अपने-अपने धरो में धी के दीपक जलायें वातावरण को सवच्छ व निर्मल बनाये व इस पृथ्वी पर हम अपने व अपनी आने वाली नस्लो के लिए जीवन को आसान बनायें।
यह मेरे विचार मात्र नहीं है । मैं अपने घर पर घी का दीपक जलाउगा। व राम जी से प्रार्थना करुगा कि यह दीपावली हम सब के लिए हजारों खुशिया ले कर आये।
आप सब को मेरी और से दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनायें।
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